10,000 फीट पर निर्मित दुनिया की सबसे लंबी सुरंग

भारत के हिमाचल प्रदेश में मनाली-लेह राजमार्ग पर निर्मित "अटल सुरंग", जिसे "रोहतांग सुरंग" के रूप में भी जाना जाता है, यह दुनिया में 10,000 फीट (3,048 मीटर) से ऊपर निर्मित सबसे लंबी सुरंग है। इस सुरंग की लम्बाई 9.02 किमी सोलंग घाटी से मनाली के पास लाहौल में सिसु तक जाती है, जो रोहतांग दर्रे के पश्चिम में एक पर्वत को काटती है। इसका नाम पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया है। इसका उद्घाटन 3 अक्टूबर 2020 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था। इस परियोजना की अनुमानित लागत 3200 करोड़ है। इस सुरंग ने मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किमी (28.6 मील) कम कर दी और यात्रा समय सड़क अवरोध या हिमस्खलन के खतरे के बिना 4 से 5 घंटे कम कर दिया।

(image credit: thefinancialexpress)

"अटल सुरंग" (Atal Tunnel) का इतिहास

रोहतांग पर्वत श्रृंखला के नीचे सुरंग निर्माण की परिकल्पना आज से लगभग 160 साल पहले की गई थी। साल 1860 में ब्रिटिश हुकूमत के दौरान मोरावियन मिशन ने (Moravian Mission)रोहतांग का दौरा किया था और पहली बार रोहतांग दर्रे से लाहौल पहुंचने के लिए एक सुरंग की संभावना के बारे में बात की थी। बाद में, प्रधानमंत्री नेहरू ने स्थानीय जनजातियों के साथ रोहतांग दर्रे के लिए एक रस्सी मार्ग पर चर्चा की। साल 1983 में इंदिरा गांधी के प्रधान मंत्री रहते केंद्र सरकार में रोहतांग सुरंग के प्रस्ताव पर सहमति बनी थी। जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने, तो स्थानीय लोगों ने उनके बचपन के दोस्त अर्जुन गोपाल से मिलने और रोहतांग सुरंग के बारे में बात करने का सुझाव दिया। गोपाल और दो साथी छेरिंग दोरजे और अभय चंद दिल्ली चले गए। एक साल की चर्चा के बाद वाजपेयी 2 जून 2000 को लाहौल गए और घोषणा की कि रोहतांग सुरंग का निर्माण किया जाएगा। 26 मई 2002 को सीमा सड़क संगठन (BRO)को निर्माण का प्रभार दिया गया। सुरंग के प्रवेश मार्ग का उद्घाटन अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था। उसके बाद मुस्किलो का लम्बा सिलसिला चला डुंडी तक पहुँचने के लिए सड़क निर्माण के दौरान 8 अगस्त 2003 को बदल फटने और बाढ़ के कारण 42 मजदूरों को जान गवानी पड़ी थी। रोहतांग सुरंग निर्माण के लिए ऑस्ट्रेलिया की SMEC (Snowy Mountains Engineering Corporation) International Private Limited कंपनी के अलावा ड्रिलिंग में  शीर्ष कंपनियों - AFCONS Infrastructure Limited और STRABAG को अनुबंधित किया गया। 28 जून 2010 UPA की मुखिया सोनिया गांधी ने विधिवत रूप से टनल की ड्रिलिंग का शिलान्यास किया। अंततः दोनों छोरों से सुरंग की खुदाई का काम शुरू हुआ और 2017 में पूर्ण हुआ। 17 नवंबर 2019 को पहली बार कुल्लू से इस सुरंग के रास्ते हिमाचल पथ परिवहन निगम की एक बस को लाहौल के लिए रवाना किया गया था। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 दिसंबर 2019 को वाजपेयी के जन्मदिन पर अटल वाजपेयी के सम्मान में सुरंग का नाम "अटल सुरंग" रखा। अब बारह महीने इस सुरंग से परिवहन जारी रहेगा। रोहतांग सुरंग को लद्दाख के रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों और दूरदराज के लाहौल-स्पीति घाटी के लिए सभी मौसम में सड़क मार्ग को सुनिश्चित करने की योजना बनाई गई थी। हालांकि सुरंग हिमाचल प्रदेश के लाहौल घाटी से कीलोंग तक ही यह कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। लद्दाख से कनेक्टिविटी के लिए अधिक सुरंगों की आवश्यकता होगी।

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