Posts

Showing posts from October, 2020

डॉल्फिन दिवस के अवसर पर भारत ने गंगा नदी पर "डॉल्फिन सफारी" की शुरूवात की

Image
गंगा नदी डॉल्फिन दिवस (5 अक्टूबर) के अवसर पर भारत ने गंगा नदी पर "My Ganga, My Dolphin" के अंतर्गत एक दिलचस्प अभियान "डॉल्फिन सफारी" का शुभारंभ नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (NMCG) द्वारा भारत में ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के छह स्थानों पर शुरू किया गया है। "My Ganga, My Dolphin"अभियान बिजनौर से नरौरा तक 250 किलोमीटर के क्षेत्र में डॉल्फिन की जनगणना करने के लिए की गई है।। इस तरह की पहली पहल में डॉल्फिन सफारी कहलगांव (बिहार), बिजनौर, बृजघाट, प्रयागराज और वाराणसी (उत्तर प्रदेश), और बंदेल (पश्चिम बंगाल) में शुरू होगी।  यह "गंगा नदी के किनारे पारिस्थितिकी के लिए डॉल्फिन संरक्षण के माध्यम से आजीविका को जोड़ने के लिए स्थायी पर्यटन के लिए यह डब्ल्यूआईआई (Wildlife Institute of India), एनएमसीजी  (National Mission for Clean Ganga) और राज्य वन विभागों  (State Forest Departments) का एक संयुक्त उद्यम है।" हाल के वर्षों में, गंगेटिक डॉल्फ़िन की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। अब तक, स्थानीय समुदाय के प्रशिक्षित स्वयंसेवक,

10,000 फीट पर निर्मित दुनिया की सबसे लंबी सुरंग

Image
भारत के हिमाचल प्रदेश में मनाली-लेह राजमार्ग पर निर्मित "अटल सुरंग", जिसे "रोहतांग सुरंग" के रूप में भी जाना जाता है, यह दुनिया में 10,000 फीट (3,048 मीटर) से ऊपर निर्मित सबसे लंबी सुरंग है। इस सुरंग की लम्बाई 9.02 किमी सोलंग घाटी से मनाली के पास लाहौल में सिसु तक जाती है, जो रोहतांग दर्रे के पश्चिम में एक पर्वत को काटती है। इसका नाम पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया है। इसका उद्घाटन 3 अक्टूबर 2020 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था। इस परियोजना की अनुमानित लागत 3200 करोड़ है। इस सुरंग ने मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किमी (28.6 मील) कम कर दी और यात्रा समय सड़क अवरोध या हिमस्खलन के खतरे के बिना 4 से 5 घंटे कम कर दिया। (image credit: thefinancialexpress) "अटल सुरंग" (Atal Tunnel) का इतिहास रोहतांग पर्वत श्रृंखला के नीचे सुरंग निर्माण की परिकल्पना आज से लगभग 160 साल पहले की गई थी। साल 1860 में ब्रिटिश हुकूमत के दौरान मोरावियन मिशन ने (Moravian Mission)रोहतांग का दौरा किया था और पहली बार रोहतांग दर्रे से लाहौल पहुंच